लंदन : कोरोना वायरस (Corona Virus) से पूरा विश्व परेशान है। सबसे ज्यादा जरूरी है इस बिमारी को समझना। सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो विज्ञानियों ने ड्रॉपलेट्स के फैलाव को समझने के लिए एक नया ढांचा विकसित किया है। इसके तहत खांसते व छींकते वक्त जो विभिन्न आकार के ड्रापलेट्स निकलते हैं, उसे समझने की कोशिश की जायेगी। बताया गया है कि जर्नल ऑफ फ्लूइड्स में प्रकाशित अध्ययन में गणितीय सूत्रों का उपयोग करके छोटे, मध्यम एवं बड़े आकार के ड्रॉपलेट्स की अधिकतम सीमा तय की गयी है। ऐसा बताया जा रहा है कि कोविड-19 के प्रसार को समझने के लिए उक्त उपयोग बेहद मददगार साबित हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक अध्ययन के सह लेखक ब्रिटेन के हेरियट-वॉट विश्वविद्यालय के कैथल कमिंस का कहना है कि जब भी कोई छींकता या खांसता है तो नाक व मुँह से उस वक्त विभिन्न प्रकार के ड्रॉपलेट्स निकलते हैं। यह ड्रापलेट्स हवा के साथ आगे बढ़ते हैं। उनका कहना है कि उक्त उपयोग की मदद से ड्रॉपलेट्स के फैलाव को समझने में काफी मदद मिलेगी। वहीं शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि अध्ययन से पता चला है कि मध्यम आकार के ड्रॉपलेट्स की तुलना में छोटे और बड़े आकार के ड्रॉपलेट्स ज्यादा दूर तक फैलते हैं। इसीलिए छोटे ड्रॉपलेट्स को नजरअंदाज करना ठीक नहीं होगा। यहाँ तक की डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी जो पीपीई इस्तेमाल कर रहे हैं, वह बड़े ड्रॉपलेट्स की तुलना में छोटे ड्रॉपलेट्स के लिए कम प्रभावी हो सकते हैं।
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