नाता देश का
धक्का मत दीजिए
खरीद लीजिए हुजूर
देश का है नाता
हम आपके ही बेटे हैं।
गर्व है हमें कि
हम मूंगफली बेचते हैं
सुना है कि बड़े लोग
देश बेच देते हैं।
● डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार
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