डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘कहां महंगाई है भाई?’

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डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

कहां महंगाई है भाई?

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में
एक पत्रकार ने मंत्री महोदय
से सवाल किया-
आपकी बातें हमें रास नहीं आईं
देश में सर्वत्र बढ़ रही है महंगाई
मंत्री महोदय मुस्कुराये
पत्रकार को अपने पास बुलाये
धीरे से उसके कानों में फुसफुसाये
यहां बहुत सस्ते में बिकते हैं बालक
उससे भी सस्ते में मिलते हैं उनके पालक
चार रोटियों में बिकता है बचपना
ध्यान से देखो
कितना सस्ता देश है अपना!
तुम अपनी आंखों का इलाज कराओ
उसके बाद मेरे पास आओ।
पत्रकार यह सुनकर रह गया दंग
उड़ गया उसके चेहरे का रंग।

● डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

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