देश का नेता बन जाऊंगा!
घर में घुसते ही पत्नी ने डांटा
लगा मुझे कि मार देगी जोरदार चांटा
तुनक कर बोली
हो गई आनलाइन शापिंग
अरे कलमुंहे!
लग गया न हजार रुपए का घाटा।
बातों में तो लाल सुर्ख लगता है
मुझे तू परले दर्जे का मूर्ख लगता है
कमाई एक पैसा की नहीं
मगर खाने को चाहिए दूध-दही।
पता नहीं, मेरी किस्मत क्यों रूठ गयी?
कच्ची गगरी जैसी फूट गयी
लेकिन अब मैं नहीं सह सकती
एक मिनट भी तुम्हारे साथ नहीं रह सकती।
मैंने कहा-चिन्ता छोड़ो
मुझसे नाता मत तोड़ो
कल से मैं भी दस-बीस को
उल्टा-पुल्टा पढ़ाऊंगा
देश का बड़ा नेता बन जाऊंगा।
● डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार
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