मोबाइल क्रांति के बाद से मीडिया में क्रांतिकारी बदलाव : प्रो. केजी सुरेश

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Vikram Kaushik

मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर में मीडिया के बदलते स्वरूप पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
पांच विश्वविद्यालयों के वीसी समेत देश-विदेश के मीडियाकर्मी और शिक्षकों ने रखे विचार
जयपुर. मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की ओर से ‘संचार के क्षेत्र में मीडिया और उद्योग में बदलाव एवं उभरते रुझानों’ पर 23 और 24 जनवारी को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन किया गया। उद्घाटन सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने सोशल मीडिया के उदय की बात की और लोकतांत्रिक इंटरनेट की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मोबाइल, स्मार्टफोन और लैपटॉप आने के बाद मीडिया में क्रांतिकारी बदलाव आया है क्योंकि स्मार्टफोन में न केवल कैमरा बल्कि ऑडियो रिकॉडिंग, लेखन और वीडियो एडिटिंग का भी विकल्प है। मणिपाल विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रो. जी.के. प्रभु ने कहा कि मीडिया का बदलता स्वरूप कई तरह से खास है। यह हमारे विकास में भी सहायक है।

रूस की ओल्गा डाइचेवा ने इंटलेक्चुअल मीडिया के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि मीडिया का स्वरूप बदलने से नई-नई चुनौतियां भी आ रही हैं। फिल्म डायरेक्टर एवं स्क्रिप्ट राइटर विवेक अग्निहोत्री ने भारत में फिल्मों, ओटीटी प्लेटफॉर्म और विभिन्न ऑनलाइन फिल्म स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म व वेब सीरीज में नए ट्रेंडर्स पर अपने विचार रखे। स्कूल ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन के निदेशक प्रो. अमिताभ श्रीवास्तव ने अपने विद्यार्थियों को मिले सम्मान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि मीडिया भले ही डिजिटल हो जाये, लेकिन शब्दों का महत्व इसमे भी कम नही होगा।

विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाष कुमार ने मीडिया के तेजी से बदलते ट्रेंड पर अपनी बात रखी। उन्होेंने कहा कि मीडिया में हर दिन नया है। तकनीक की मदद से ही लंबे समय तक मीडिया में स्थान बनाया जा सकता है।
दूसरे सत्र में, राजस्थान, सूचना एवं प्रसार विभाग की एडीजी प्रज्ञा पी. गौड़ ने कहा कि मीडिया में बदलाव के साथ दर्शकों की सोच में भी बदलाव की जरूरत है और यह तभी संभव है जब कंटेंट में वैसे ही बदलाव किए जाएं। अमिटी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर के डॉ. सुमित नरूला ने कहा कि देश के विकास में रेडियो की भूमिका पहले से ही रही है और आगे भी रहेगी। मेवात रेडियो की अर्चना कपूर ने कहा कि कम्युनिटी रेडियो हमारे समाज के विभिन्न विकास पहलुओं जैसे शिक्षा, स्वच्छता, विकास आदि से जुड़ा है।


तकनीकी सत्र ‘समाचार पत्र: प्रिंट से डिजिटल की यात्रा’ में शिक्षाविद् प्रो. संजीव भानावत ने कहा कि संस्कृति का मीडिया संचार के तरीकों पर व्यापक असर पड़ा है। नए मीडिया का उदय लोगों की सांस्कृतिक आवश्यकताओं का परिणाम है। सेमिनार को प्रो. दिलीप कुमार, प्रो. नंदिनी लक्ष्मी कांथा आदि ने भी संबोधित किया।
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार और हरिदेव जोशी विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी ने कहा कि चार दशकों में मीडिया का परिदृश्य बदल गया है। पहले की तुलना में मीडिया की जिम्मेदारी अब अधिक हो गई है।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि समाचार आजकल मनोरंजन बन गया है। हालांकि भारत में पत्रकारिता का उज्जवल भविष्य है।

राजस्थान पत्रिका के सहायक संपादक हरीश पाराशर ने कहा कि मीडिया उपभोग का तरीका बदल गया है। सिंगापुर इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स, सिंगापुर के सदस्य डिजिटल कमेटी, विवेक कुमार ने मीडिया और विज्ञापनों के चलन में बदलाव के बारे में चर्चा की।

अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रकोष्ठ के प्रमुख स्वांत रंजन ने वर्तमान में पत्रकारिता और मीडिया उद्योग के स्वरूप पर चर्चा करते हुए कहा कि इसमें नैतिकता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता का स्थान जरूरी है।
पीटीआई के वरिष्ठ पत्रकार संजय जौहरी ने कहा कि पुरानी परंपराएं हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। ऑनलाइन मीडिया के वर्तमान परिदृश्य के कारण इसे उपेक्षित किया जा रहा है। वरिष्ठ मीडिया शिक्षाविद, लेखक और बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. अरुण भगत ने कहा कि पत्रकारिता समाज की रीढ़ है और हमारे आसपास जो कुछ भी हो रहा है वह समाज का एक हिस्सा है।

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के पूर्व कुलपति प्रो. मान सिंह परमार ने कहा कि मीडिया और संस्कृति को अलग नहीं किया जा सकता है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि संचार संस्कृति और समाज का दर्पण है। मीडिया के माध्यम से हम अपनी संस्कृति को भी आगे बढ़ सकते हैं।
एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन, गुरुग्राम के निदेशक प्रो. मनीष वर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया हमारे जीवन को फिल्टर और एल्गोरिथम से नियंत्रित कर रहा है। हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जयपुर के डॉ. अजय कुमार सिंह ने सामाजिक जिम्मेदारी और जनता के विश्वास पर जोर दिया।
मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर के एचआर हेड एमएस श्रीधर ने कार्यक्रम के समापन पर अपने विचार रखे और आगामी योजनाओं पर चर्चा की। मीडिया कॉन्क्लेव में एमयूजे की मीडिया फैकल्टी, मीडिया से जुड़े लोग और छात्रों ने हिस्सा लिया।

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