नई दिल्ली: सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को आंकड़े जुटाने के आदेश दिये हैं। अदालत ने कहा है कि एससी/एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने से पहले राज्यों को डेटा इकट्ठा करना चाहिए।
फिर कोर्ट (Supreme Court) ने आगे कहा है कि पीठ के फैसले के बाद आरक्षण के लिए नया पैमाना नहीं बनाया जा सकता। प्रतिनिधित्व के बारे में एक तय अवधि में समीक्षा होना जरूरी है। समीक्षा की अवधि क्या होगी इसे अदालत ने केंद्र सरकार पर छोड़ दिया है। मामले की सुनवाई आज जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने की।
ज्ञात हो कि शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को लेकर 26 अक्टूबर, 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र ने पहले पीठ से कहा था कि लगभग 75 वर्षों के बाद भी एससी और एसटी के लोगों को अगड़ी जातियों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया गया है।
पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा था कि वह अपने फैसले को फिर से नहीं खोलेगी। अदालत ने इसे लागू करने के फैसले को राज्यों पर छोड़ दिया था और कई सवाल पूछा था कि इतने दिनों तक सरकारी नौकरियों में ये व्यवस्था क्यों लंबित रखी गई? अब मामले पर अगली सुनवाई आगामी 24 फरवरी को होगी।