दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। वर्ष 2007 में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा चलाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इससे पहले यूपी सरकार ने मई 2017 में इस आधार पर अनुमति से मना कर दिया था कि मुकदमे में सबूत नाकाफी हैं।
सरकार की दलील
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गत बुधवार को वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की बेंच से कहा कि मामले में कुछ भी नहीं बचा है और सीडी को सीएफएसएल को भेजा गया था, जिसमें पाया गया है कि इसमें छेड़छाड़ की गई थी। यह देखते हुए कि याचिका में उठाए गए मुद्दे पर पहले ही हाई कोर्ट विचार कर चुका है। उन्होंने कहा कि आप 15 साल बाद अब एक मरे हुए घोड़े की पिटाई नहीं कर सकते क्योंकि वह आदमी आज सीएम है।’
सुप्रीम कोर्ट से लगाई थी गुहार
फरवरी 2018 में हाई कोर्ट ने कहा था कि उसे मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार करने का फैसला लेने की प्रक्रिया में कोई प्रक्रियात्मक गलती नहीं मिली। याचिकाकर्ता परवेज परवाज और अन्य ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि अगर कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं होती है, तो मंजूरी का सवाल ही कहां है।