कोलकाता: रामनवमी की शोभायात्रा पर हमले के बाद गुरुवार से लगातार दो दिनों तक हिंदू समुदाय के घरों पर पथराव की घटना को लेकर राजभवन सक्रिय हो गया है। शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यपाल डॉ.सी.वी.आनंद बोस को फोन किया था। उसके बाद से राजभवन की तरफ से लगातार हालात की निगरानी की जा रही है।
सूत्र के अनुसार राज्यपाल ने जो निगरानी समिति बनाई है वह लगातार राज्य प्रशासन के संपर्क में है और पल-पल का अपडेट ले रहा है। इसे लेकर राज्य प्रशासन में एक हलचल भी है। पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम सिंगूर जैसी व्यापक हिंसा और हत्या की घटनाएं हुईं।
चुनाव बाद भी बड़े पैमाने पर हिंसा होती रही लेकिन कभी भी राजभवन ने अलग से निगरानी समिति नहीं बनाई है। अब नवनियुक्त राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संबंध बेहद मधुर हैं। बावजूद इसके राजभवन ने जब अलग समिति बना दी है तो सत्तारूढ़ पार्टी के साथ टकराव भी शुरू होने के आसार हैं।
तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने शनिवार को कहा है कि राज्यपाल को अलग से कोई निगरानी समिति बनाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। नियम है कि राज्यपाल राज्य प्रशासन को ही लेकर काम करते हैं। इसलिए उनके द्वारा गठित समिति की संवैधानिक वैधता कितनी है यह देखने वाली बात है।
इधर भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा है कि राज्यपाल पश्चिम बंगाल के संवैधानिक प्रमुख हैं। राज्य के लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी उनकी है। वह समिति भी बना सकते हैं। राज्य सरकार से रिपोर्ट भी मांग सकते हैं और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश भी दे सकते हैं।
इधर सूत्रों ने बताया है कि हावड़ा में गुरुवार और शुक्रवार लगातार दो दिनों तक हिंसा के बाद शनिवार को हालात तुलनात्मक तौर पर काबू में हैं। नए सिरे से कहीं भी हिंसा नहीं भड़की है। हालांकि इलाके में पुलिसकर्मी लगातार गश्ती भी लगा रहे हैं। बहरहाल राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है जो अभी तक राजभवन में जमा नहीं की गई है।