Supreme Court decision : कर्नाटक के बहुचर्चित हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने गुरुवार को अपना फैसला सुना दिया लेकिन दोनों जजों ने इस मामले पर अलग-अलग राय दिए हैं। जिसके बाद मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित (CJI UU Lalit) के पास भेजा गया साथ ही उनसे मामले की सुनवाई बड़ी बेंच में करने की अपील की गई है। सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों का फैसला अलग होने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा और अगले आदेश तक हिजाब पर बैन भी जारी रहेगा।
दोनों जजों ने दिया ये फैसला
कोर्ट में न्यायाधीश हेमंत गुप्ता ने पहले अपना फैसला पढ़ा और कहा कि वो कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले के खिलाफ याचिका को खारिज कर रहे हैं। जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया की राय अलग है और उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया इसके साथ ही उन्होंने सरकारी आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसमें शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक लगाई गई थी।
याचिकाकर्ता 24 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे थे। कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच में 10 दिनों तक हिजाब विवाद पर जोरदार बहस चली। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने जहां एक ओर हिजाब की तुलना पगड़ी और क्रॉस से की तो वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने इस पर तीखी टिप्पणी की। दस दिन चली सुनवाई के बाद 22 सितंबर को पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 मार्च को राज्य के उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब (Hijab) पहनने की अनुमति देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है।
ज्ञात हो कि कर्नाटक में हिजाब विवाद इस साल जनवरी के शुरुआत में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था। स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था। मामला अदालत तक पहुंचा और कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी।
15 मार्च को फैसले में हाईकोर्ट में दलील दी गई कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। लिहाजा स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म के पालन कराना राज्य का आदेश सही है। उस फैसले के बाद भी विवाद नहीं थमा और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।