कोलकाता: ज्ञानवापी केस में वाराणसी की अदालत ने हिंदू याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला दिया है। अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने आज पांचों महिला हिंदू पक्षकार के पक्ष में फैसला सुनाया है। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद मामले में फैसला सुनाते हुए जिला जज एके विश्वेश की एकल पीठ ने मामले को सुनवाई योग्य बताया है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए मुकदमा को विचारणीय बताया है। मामले पर अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। ज्ञानवापी मस्जिद मामले के याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने कहा कि यह हिंदू पक्ष की जीत है। यह ज्ञानवापी मंदिर की आधारशिला है। हम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।
ज्ञात हो कि हिंदू पक्ष की तरफ से ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर नियमित पूजा अर्चना की अनुमति मांगी गई थी। वहीं मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में पोषणीय नहीं होने की दलील देते हुए इस केस को खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस मामले में सुनवाई हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने कहा कि आज पूरा भारत खुश है। मेरे हिंदू भाई-बहनों को जश्न मनाने के लिए दीए जलाने चाहिए।
याद रहे कि दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की निवासी चार महिलाओं ने पिछले साल सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक याचिका दाखिल की थी। जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हिंदू देवी देवताओं की प्रतिदिन पूजा अर्चना का आदेश देने का आग्रह किया गया था।
उसके आदेश पर गत वर्ष मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था। उसी दौरान मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे को उपासना अधिनियम 1991 का उल्लंघन करार देते हुए इस पर रोक लगाने के आग्रह वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी।
हालांकि कोर्ट ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था लेकिन मामले की सुनवाई जिला जज की अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। इस सर्वे की रिपोर्ट गत 19 मई को जिला अदालत में पेश की गई थी। सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था जबकि मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताया था।
इस मामले को उपासना स्थल अधिनियम के खिलाफ बताते हुए मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि यह मामला सुनवाई के योग्य नहीं है। जिला जज ने इस सिलसिले में दायर याचिका पर पहले सुनवाई करने का निर्णय लिया था। इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो चुकी हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि मुस्लिम पक्ष बहुत पुराने दस्तावेज पेश कर रहा है जो इस मामले से संबंधित नहीं है।