व्यंग्य कविता
कुछ नहीं कर पायेगा कोरोना!
बंद करो अब रोना-धोना
कुछ नहीं कर पायेगा कोरोना
बाबा जी ने कर दिया टोना
अब चैन की नींद है सोना।
यह मंत्रित ताबीज पहन लो
सुन्दर होगा घर का कोना।
यह सुन पत्नी पिनक गई
और अचानक तुनक गई
गला फाड़कर वह चिल्लाई
पति से कब बन गये कसाई?
जिसकी निकली नहीं दवाई
भला कोरोना कैसे जाई?
फैलाते हो अंधविश्वास
नहीं है तुमसे कोई आस!
या तो घर का काम करो
या चुल्लू भर पानी में डूब मरो!
– डॉ.एस.आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार
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