भारत महान!
उसका मुखमंडल
भले चबूतरा है
मगर जुबान है
एक तेज उस्तुरा।
जिसने कुतर दिये हैं
कइयों के पर
किन्तु आज भी
सुरक्षित है उसका घर।
दोस्त!
जो आज देखने में मूर्ख है
वही आज का
सबसे बड़ा धूर्त्त है
वही बनाता है अपनी पहचान
और उसे ही पूजता है
अपना भारत महान!
● डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार
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