कोलकाता : महानगर (Kolkata) में बढ़ रहे कोरोना (Corona) के मामले चिंता का सबब बन रहे हैं। उनमें भी बिना लक्षण वाले मरीज जो कि कोरोना के ‘सुपर स्प्रेडर’ के तौर पर उभर रहे हैं, वे प्रशासन के लिए सबसे ज्यादा मुश्किलें खड़ी करते नजर आ रहे हैं। हाल ही में बताया गया था कि तकरीबन कोरोना के 70 फीसदी मरीज बिना लक्षण वाले हैं। ऐसे में इनका पता लगाने के लिए कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) की तरफ से ‘3T‘ फॉर्मूले पर फोकस किया जा रहा है। इसका मतलब है ‘ट्रेसिंग, टेस्टिंग एंड ट्रिटमेंट’। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने ही इस फॉर्मूले पर चलने की बात कही थी। इसी के तहत अब निगम की तरफ से 3 तरीकों से कोरोना की जाँच करने की योजना बनायी गयी है। निगम सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक टेस्टिंग सेंटर के हिसाब से 9 एम्बुलेंस में जिस तरह कोरोना की जाँच के लिए नमूने संग्रहित किये जा रहे हैं, वह तो चलेगा ही। इसके अलावा हर रोज निगम अन्तर्गत सभी वार्डों में शिविर लगाकर ICMR की तरफ से दिये गये किट की मदद से एंटीजेन टेस्ट एवं RT-PCR के लिए नूमनों को संग्रहित कर निगम की प्रशिक्षित टीम कोरोना की जाँच करेगी।
इतना ही नहीं निगम के 16 बोरो में अलग से टेस्टिंग सेंटर भी बनाया गया है जहाँ हर रोज कोरोना की जाँच की जायेगी। निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जाँच हो ताकि बिना लक्षण वाले रोगियों का पता लगाया जा सके। इसी से कोरोना पर काबू पाने में मदद मिल सकती है। ट्रेसिंग व टेस्टिंग के बाद मरीजों के अस्पताल व आइसोलेशन में रहने की व्यवस्था की जायेगी।
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