नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज भिखारियों और सड़क पर रहने वाले अन्य लोगों के कोरोना टीकाकरण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि अभी तक बिना पहचान पत्र वाले 77 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है। जबकि 14 लाख लोगों को दूसरी डोज भी लगा दी गई है। इसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को इस मामले में लिखित हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई, 2021 केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने कहा था कि भिक्षावृत्ति की वजह गरीबी है। हमें इस पर मानवीय रवैया अपनाने की जरूरत है। याचिका कुश कालरा ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील चिन्मय शर्मा ने मांग की थी कि सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और लाल बत्तियों पर से भिखारियों को हटाने का दिशानिर्देश जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौरान भीख मांगने वालों को लाल बत्तियों और बाजारों में भीख मांगने से रोका जाए, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। याचिका में भिखारियों के पुनर्वास की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वो भिखारियों को भीख मांगने से रोकने की मांग को स्वीकार नहीं कर सकती है। लोग भीख क्यों मांगते हैं, गरीबी की वजह से। सुप्रीम कोर्ट होने के नाते हम संभ्रांतवादी दृष्टिकोण नहीं अपना सकते हैं। यह समाज कल्याण का एक बड़ा मसला है। तब चिन्मय शर्मा ने कहा था कि दरअसल याचिकाकर्ता की असली मांग है कि भिखारियों का पुनर्वास किया जाए और उन्हें कोरोना से बचाव के लिए टीके दिए जाएं। तब कोर्ट ने इस मांग पर सहमति जताई और केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया।
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