दिल्लीः चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास वीरान पड़े गांवों को केंद्र सरकार दोबारा बसाने की तैयार कर रही है। इस तरह के गांवों की संख्या करीब 500 है। सरकार ने इसके लिए एक्शन प्लान भी तैयार कर लिया है और 2500 करोड़ रुपये का बजट भी तय हो गया है। इस प्लान को तैयार करने वाले अधिकारियों के मुताबिक, एलएसी से सटे करीब 500 गांव ऐसे हैं जो वीरान हो चुके हैं, यानि इन गांवों में अभी रहने वाले लोगों की संख्या बहुत ही कम या यूं कहें कि ना के बराबर रह गई है।
क्या है प्लान
केंद्र सरकार सीमावर्ती इलाके में स्थित इन करीब 500 गांवों को सेकेंड लाइन आफ डिफेंस के तौर पर खड़ा करना चाहती है और इसीलिए अब स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का वादा करते हुए सीमा से लगे इन सैकड़ों गांवों के निवासियों से यहां वापस लौट आने के लिए संपर्क शुरू कर दिया गया है, ताकि इन गावों को दोबारा आबाद किया जा सके।
यहां बसने के इच्छुक गांव वालों से एक बार फिर संपर्क किया जा रहा है। सरकार यहां आवास बनाने और पर्यटन सुविधा बढ़ाने के साथ ही इन गांवों के आसपास ही नौकरियां देने की तैयारी भी कर रही है, ताकि यहां की जनसंख्या का पलायन न हो।
इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इसको लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। चिकित्सा और शिक्षा सुविधाओं के साथ यहां लोगों के लिए मॉडल आवास बनाने का पूरा प्लान है। इन सभी गांवों में कम से कम एक प्राथमिक विद्यालय होगा। स्कूल परिसर में शिक्षकों के लिए आवासीय क्वार्टर बनाए जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय की योजना है कि एलएसी के पास बसे इन गांवों को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए।
गांवों के पुनर्विकास का बजट
इन गांवों को दोबारा बसाने में आने वाले खर्च को पूरा करने के लिए सरकार ने एक बड़ा बजट तय किया है। पुनर्विकास खर्चों को पूरा करने के लिए 2022-23 के वार्षिक बजट में सरकार ने इसके लिए 1921.39 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसे बढ़ाकर अब 2517 करोड़ रुपये कर दिया गया है।