कल राज्य के सभी जिला शासकों के ऑफिस में सौंपा जाएगा ज्ञापन
कोलकाता : कोरोना का वजह से लम्बे समय तक परिवहन सेवा के ठप होने से पश्चिम बंगाल के निजी बस मालिक बेहाल हो गए थे। अनलॉक की घोषणा के बाद तय नियमों का पालन करते हुए निजी बसों को सड़क पर उतरने की अनुमति दी गयी। बस मालिकों ने राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद भाड़ा वृद्धि की माँग रखी लेकिन सरकार ने उन्हें पुराने किराये पर ही बस चलाने के लिए कहा। हालांकि राज्य सरकार ने हाल ही में निजी बस मालिकों का ख्याल रखते हुए इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से सितम्बर तक बस व मिनी बस का कर माफ कर दिया था और इस साल परमिट फी में भी माफी दी गयी थी। हालांकि बस मालिकों का कहना है कि ये सब राहत आंशिक है। जब तक बस का भाड़ा नहीं बढ़ाया जाता है तब तक निजी बस मालिकों को राहत नहीं मिलेगी।
ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडीकेट्स के सचिव तपन बनर्जी ने कहा था कि लोकल ट्रेनों की सेवा बंद है, जिससे यात्रियों की संख्या कम हो चुकी है। वहीं लोग कोरोना के डर से वैसे ही घर से कम बाहर निकल रहे हैं। इसके साथ ही डीजल के दाम में बेलगाम वृद्धि हो रही है। ऐसे में कम यात्री के साथ पुराने किराये में सेवा प्रदान करना सम्भव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भाड़ा निर्धारण के लिए एक कमेटी भी बनाई थी लेकिन अभी तक उसपर कोई जानकारी नहीं दी गई है। अंततः अब बस मालिकों के पास कोई रास्ता नहीं बचा है। तपन बनर्जी ने कहा कि सोमवार को राज्य के समस्त जिला शासकों के ऑफिस में बस मालिक ज्ञापन सौंपेगे और 18 अगस्त को राज्यपाल जगदीप धनखड़ को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
बस मालिकों की माँग
- बस किराये में वृद्धि
- बैंक ट्रांसपोर्ट लोन ईएमआई माफी
- इंश्योरेंस प्रीमियम माफी
- डीजल के दाम में बढ़ोतरी को जल्द से जल्द नियंत्रित करना
- डीजल पर जीएसटी लागू करना
- सीएफ पीरियड में इजाफा
- कोविड-19 तक पश्चिम बंगाल में टोल टैक्स बंद करना
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