कोलकाता : कोलकाता एयरपोर्ट (Kolkata Airport) प्रबंधन ने विमानों से परिंदों की टक्कर को रोकने के लिए पक्षी विशेषज्ञ के नेतृत्व में समीक्षा की जा रही है। एयरपोर्ट प्रबंधन का दावा है कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब देश के किसी भी एयरपोर्ट पर पक्षियों को लेकर वैज्ञानिक समीक्षा की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समीक्षा का कार्य इसी साल जनवरी में शुरू किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जनवरी-फरवरी में पहली समीक्षा हो चुकी है। जुलाई-अगस्त में दूसरी समीक्षा चल रही है और सितंबर के अंत में समीक्षा रिपोर्ट सौंपी जानी है। चील व बाज की विमानों के साथ टक्कर की बात आम हो चली है लेकिन अब चमगादड़ और उल्लू भी इन पक्षियों की सूची में शामिल हो गए हैं, जिनकी सूर्यास्त के बाद विमानों से टक्कर की सम्भावना बढ़ गई है। इस साल जुलाई महीने में परिंदों से विमानों के टकराने की 2 घटनाएं घटी हैं और दोनों घटनाएं ही सूर्यास्त के समय या उसके बाद ही घटी है। दिन के समय विमान की राह में बाधा बनने वाले इन परिंदों को एयरपोर्ट के कर्मचारी पटाखा फोड़कर भगा देते हैं लेकिन शाम ढलने के बाद पक्षी के एयरपोर्ट परिसर में दाखिल होने की गुत्थी अभी भी सुलझी नहीं है। गौरतलब है कि करीब डेढ़ वर्ष पहले एक विशेष कमेटी ‘नेशनल बर्ड हैजर्ड्स’ का गठन किया गया था। इस कमेटी ने कोच्ची निवासी पक्षी विशेषज्ञ एस.एम.सतीशन के साथ करार किया और कोलकाता से अपना काम शुरू किया।
कोलकाता एयरपोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सम्भवतः एयरपोर्ट परिसर के अंदर पक्षियों को घोंसला बनाने की जगह मिल जाती है। वहीं यहाँ उन्हें खाना भी उपलब्ध हो जाता है। अधिकारी का कहना है कि यदि खाने की व्यवस्था को बंद कर दिया जाए तो उल्लू, चमगादड़ और गीदड़ के परिसर में प्रवेश बंद हो सकता है।
इस समय होती है परिंदों की टक्कर
विमानों से परिंदों के टक्कर की घटना मुख्य रूप से टेकऑफ के दौरान होती है। विमान के इंजन टक्कर के बाद परिंदों को अंदर खींच लेते हैं। इससे न केवल इंजन को नुकसान पहुँचता है बल्कि कई बार ऐसी घटनाओं के बाद आपात लैंडिंग की भी जरूरत पड़ जाती है। कई बार परिंदों के टक्कर से कॉकपीट के सामने वाली कांच पर दरार पड़ने की घटनाएं भी देखने को मिली हैं। एयरपोर्ट प्रबंधन की माने तो परिदों से विमान के टक्कर की सबसे ज्यादा घटना कोलकाता में ही घटती है। पिछले 1 वर्ष के अंदर विमानों से परिंदों के टकराने की जितनी घटनाएं हुई हैं, उनमें से आधी घटनाएं रात को घटी है।
‘जोन गन’ भी बेअसर
एक अन्य धिकारी ने बताया कि परिंदों को भगाने के लिए रनवे के ठीक बगल में ‘जोन गन’ नामक एक यंत्र लगाया गया था। इस यंत्र से हर 10 मिनट पर गोली चलने जैसी आवाज आती थी। पहले यह ऊपाय कारगर था क्योंकि आवाज सुनकर परिंदे भाग जाते थे लेकिन समय के साथ-साथ परिंदों ने इसके साथ सामंजस्य स्थापित कर लिया। उन्होंने इस यंत्र के आवाज की आदत हो गई और शायद इसके खतरनाक न होने का अहसास भी, इसलिए परिंदों ने इस यंत्र पर आकर ही बैठना शुरू कर दिया।