हिंदी पुस्तक “अक्षर – अक्षर दीप जले” पर बनी बांग्ला फिल्म “हाथेखोड़ी”

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कोलकाता : बाल श्रमिक समाज की गति में अवरोध का कार्य करता है। किसी भी समाज के विकास में बच्चों का शिक्षित होना बहुत महत्वपूर्ण होता है उनका मज़दूरी करना नहीं। इसी विषय को समझने की कोशिश की गई है बांग्ला फिल्म हाथेखोड़ी में। चाँद नमक एक 11 वर्षीय लड़का जो कुशाग्र बुद्धि का है लेकिन परस्थितियों के भंवर में पड़कर ढाबे में काम करने के लिए मजबूर हो जाता है।

लेकिन वावजूद इसके वो हार नहीं मानता और स्कूल में दुबारा जाने के लिए प्रयास करने लगता है। वो अपने प्रयास में सफल होता है या नहीं ये जाने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। फिल्म का पहला भाग अच्छा है लेकिन इंटरवल के बाद से फिल्म की लम्बाई थकाने लगती है, कई बार ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म को ए.बी.ए. यहाँ खत्म हो जाना चाहिए लेकिन फिर भी फिल्म खींची जाती है। संपादन में चुस्ती नहीं मिलती है जिस कारण फिल्म एक अच्छे विषय पर बनने के वावजूद भी एक साधारण फिल्म बनकर रह जाती है। प्रिया सिनेमा में फिल्म का प्रीमियर किया गया जहाँ पर काफी संख्या में दर्शकों की भीड़ देखी गई।

फिल्म को दर्शकों से बहुत सराहना मिल रही है और यह उम्मीद की जा रही है कि फिल्म आने वाले दिनों में अच्छा व्यवसाय करेगी।

फिल्म की कहानी बद्रीनाथ साव की हिंदी पुस्तक “अक्षर-अक्षर दीप जले” से ली गई है। फिल्म का निर्देशन कौस्तव चक्रवर्ती और मैनाक मित्रा ने मिलकर किया है। फिल्म के निर्माता हैं, उमाशंकर कीह, बिश्वनाथ घोराई, अतुल्य कुमार वर्मा, सम्राट बोस, मेघा चक्रवर्ती, राणा भट्टाचार्य और कोंकणा हलदार।

क्रिएटिव प्रोडूसर कार्यकारी निर्माता व प्रोडक्शन डिजाइनर है गोपाल घोराई, जबकि छायांकन रिपोन होसैन का है जिसने फिल्म को दिलचप्स बना दिया है। जॉय दत्ता की कोरियोग्राफी और अमित चटर्जी, सुप्रतीप भट्टाचार्य, शुभंकर देबनाथ, शुभ्रदीप बख्शी के संगीत से सजी गानों को दर्शकों द्वारा बहुत सराहना मिल रही है।

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