Population Control Law: जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रभावी कानून लाए जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट में दायर याचिकाओं में लॉ कमीशन को इसके लिए विस्तृत नीति तैयार करने की मांग भी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस पर लॉ कमीशन या सरकार को नीति बनाने के लिए कहना कोर्ट का काम नहीं है। यह नीतिगत मसला है। अगर सरकार को जरूरत लगेगी तो वह फैसला लेगी।
याचिकाकर्ता को कोर्ट का जवाब
आज ये मामला जस्टिस सजंय किशन कौल और जस्टिस ए एस ओक की बेंच के सामने लगा। अश्विनी उपाध्याय ने मांग की कि कोर्ट कम से कम लॉ कमीशन को रिपोर्ट तैयार करने को कहे। हमारे पास जमीन मात्र 2% और पानी मात्र 4% है जबकि जनसंख्या विश्व की 20% हो चुकी है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि इस पर दखल देना कोर्ट का काम नहीं है।
वैसे हमने पढ़ा है कि देश में जनसंख्या बढ़ोत्तरी लगातार घट रही है और अगले 10-20 सालों में ये स्थिर हो जाएगी। हम एक दिन में जनंसख्या नियंत्रण नहीं कर सकते। अगर सरकार को कोई कदम उठाने की जरूरत लगती है, तो वो फैसला लेंगी। सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार जितना कर सकती है, उतनी कोशिशें सरकार जनंसख्या नियंत्रण के लिए कर रही है।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा था कि वो जनसंख्या नियंत्रण के लिए लोगों को एक निश्चित संख्या में बच्चे रखने के लिए मजबूर नहीं कर सकती। देश में परिवार नियोजन एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है। यहां अभिभावक बिना किसी प्रतिबंध के खुद तय करते है कि उनके लिए कितने बच्चे सही रहेंगे। लिहाजा परिवार नियोजन को अनिवार्य बनाना सही नहीं होगा दूसरे देशों के अनुभव कहते हैं कि इस तरह के प्रतिबंधो का गलत ही असर हुआ है।