Sanskrit Language :  संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज कर दिया है। याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकार के सामने इस तरह की मांग रखने के लिए स्वतंत्र है।

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कोलकाताःसंस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रभाषा घोषित करना एक नीतिगत फैसला है और इसके लिए संविधान में संशोधन करने की जरूरत होगी। साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप संस्कृत में एक लाइन सुना सकते हैं। यह जनहित याचिका अवसर प्राप्त आईएएस अधिकारी और वकील केजी वंजारा की ओर से दायर की गई थी।

आज अदालत में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने यह कहते हुए इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि किसी भाषा को ‘राष्ट्रीय’ का दर्जा देना एक नीतिगत फैसला है जिसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है। यानी इसका फैसला अदालत के आदेश पर नहीं किया जा सकता। किसी भाषा को राष्ट्रीय भाषा घोषित करने के लिए संसद को कोई रिट जारी नहीं की जा सकती है।

साथ ही इस दिन मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से अदालत ने पूछा कि, ‘भारत में कितने शहरों में संस्कृत बोली जाती है? क्या आप संस्कृत बोलते हैं? क्या आप संस्कृत में एक लाइन सुना सकते हैं या कम से कम अपनी याचिका में प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद कर सकते हैं.’ इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने एक संस्कृत श्लोक सुनाया लेकिन बेंच ने जवाब दिया कि यह हम सभी जानते हैं।

फिर अधिवक्ता ने ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कलकत्ता के तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज का हवाला दिया, इस पर बेंच ने कहा कि हम जानते हैं कि हिंदी और अन्य राज्य भाषाओं में कई शब्द संस्कृत से आए हैं लेकिन यह भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने का आधार नहीं हो सकता। हमारे लिए किसी भाषा की घोषणा करना बहुत मुश्किल है।

वहीं मौके पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि संस्कृत एक ‘मातृभाषा’ है जिससे अन्य भाषाओं ने प्रेरणा ली है। याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकार के सामने इस तरह की मांग रखने के लिए स्वतंत्र है।

इस याचिका में केंद्र सरकार को यह कहते हुए संस्कृत को राष्ट्रभाषा के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि इस तरह के कदम से मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों में खलल नहीं पड़ेगा जो अंग्रेजी और हिंदी को देश की आधिकारिक भाषाओं का दर्जा देते हैं। किसी भी भाषा को संवैधानिक भाषा के तौर पर मंजूरी देना संसद का काम है और इसके लिए विधेयक को संसद के दोनों सदनों से मंजूर कराना होता है।

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