Nayi Aawaz Exclusive : Covid अस्पतालों में 6 हजार से ज्यादा बेड खाली, फिर भी मरीजों को नहीं मिल रही एंट्री!

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कोमल सांतोरिया

कोलकाता : पिछले कुछ दिनों में पश्चिम बंगाल (West Bengal) में कोरोना (Corona) के मामलों में जो उछाल आया है, यह वाकई चिंता का विषय है। रविवार तक बंगाल में कोरोना का आँकड़ा 58 हजार 718 जा पहुँचा है। सभी जिलो में हर रोज कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। सिर्फ झाड़ग्राम में कोरोना का आखिरी मामला गत 15 जुलाई को सामने आया था। कोलकाता (Kolkata) में कोरोना का मामला 18 हजार का आँकड़ा पार कर गया है। राज्य सरकार का दावा है कि चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सभी कोशिशें की जा रही है लेकिन क्या सच में ऐसा है?

हर रोज चाहे कोलकाता हो या राज्य का कोई दूसरा जिला, मरीज को कोरोना अस्पताल में बेड खाली नहीं होने के कारण दाखिला नहीं मिलने की कई घटनाएँ सामने आती हैं। कई बार तो अस्पतालों के चक्कर लगाते-लगाते मरीज की मौत होने की दुखद घटनाएँ भी सुनने को मिलती हैं। हम आपको बता दें कि सोमवार को ही राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पूरे राज्य के विभिन्न कोरोना अस्पतालों में खाली बेड्स का आँकड़ा दिया गया है। इस आँकड़े के मुताबिक राज्य में कुल 83 कोरोना अस्पताल हैं। इनमें कुल बेड्स की संख्या 11 हजार 299 है। वहीं उक्त कुल बेड्स में से 6 हजार 549 बेड्स खाली हैं। तो अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब इतने बेड्स खाली पड़े हैं तो फिर क्यों कोरोना मरीज व उनके परिजनों को दाखिले के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

रविवार को ही एक घटना सामने आयी थी, जहाँ एक कोरोना मरीज को बेलेघाटा आईडी अस्पताल ने बेड्स खाली नहीं होने के कारण दाखिला लेने से मना कर दिया गया था। जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिये गये आँकड़े के मुताबिक यहाँ रविवार को ही 6 बेड्स एवं सोमवार को 4 बेड्स खाली हैं। तो जब बेड्स खाली थे उसके बाद भी मरीज को क्यों नहीं दाखिला मिला? इसका जवाब कौन देगा? इतना ही नहीं बेलेघाटा आईडी अस्पताल ने उस मरीज को कोलकाता मेडिकल रेफर किया था। आरोप सामने आया था कि कोलकाता मेडिकल में भी बेड की परेशानी के कारण ही मरीज को घंटों इंतजार करना पड़ा था। अगर फिर हम खाली बेड्स के आँकड़ों की बात करें तो कोलकाता मेडिकल कॉलेज में तो 64 बेड्स सरकार की तरफ से खाली बताये जा रहे हैं। जब लगभग सभी अस्पतालों में बेड्स खाली हैं तो फिर क्यों मरीजों को जल्दी दाखिला नहीं मिल रहा?

सोमवार को तो मेडिकल कॉलेज के लिए एक और आरोप सामने आया, जहाँ एक बल्ड बैंक में काम करने वाले कर्मी को ही मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। तो अब सवाल खड़ा होता है कि इन मामलों में गलती किसकी है? क्यों बेड्स खाली होने के बाद भी सरकारी अस्पताल मरीजों का दाखिला लेने में आना-कानी कर रहे हैं? सरकार क्यों इस मामले में चुप है।

एक नजर कोलकाता के कोविड अस्पतालों में खाली बेड्स की संख्या पर

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