जहर का असर
आज नेता जी चौराहे पर मिल गये
मुझे देखकर फूल की तरह खिल गये
बोले, मैं तुम्हारे क्षेत्र का नेता हूँ
कभी मुझे अपने घर बुलाइए
कुछ खिलाइए, कुछ पिलाइए।
मैंने कहा- देर किस बात की?
आज नाग पंचमी है मेरे घर पधारिए
जमकर पीजिए और मन भर खाइए
नेता ने कहा-तुम मुझे सांप कह रहे हो?
मैंने कहा-यह मैं नहीं आप कह रहे हो।
अरे कहां बेचारा सांप
और कहां आप?
सांप के काटे तो आदमी बच सकता है
मगर जब आप काटते हैं
तो सारा देश ‘लहराता’ है
मगर आप का जहर
कहां उतार पाता है?
– डॉ.एस.आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार
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