‘ख़ाकी’ की कलम से ‘गज़ल’ की गली (3)

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मुरलीधर शर्मा ‘तालिब’, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), कोलकाता पुलिस

गजल संग्रह : हासिल-ए-सहरा नवर्दी

उसने मुझ को क़ाबिल-ए-जादू बयानी कर दिया
जिसने मेरे शे’र को नक़्श-ए-मआनी कर दिया

आब-ए-सादा को शराब-ए-अरग़वानी कर दिया
शर्म से रिन्दों को उसने पानी पानी कर दिया

ऐ परिन्दो अब हमारी सरज़मी भी देख लो
हर गली कूचे को हमने आसमानी कर दिया

कल से कुछ अख़बार के तेवर वो बदलेगा ज़रूर
रोशनाई को भी जिस ने ज़ाफ़रानी कर दिया

अब सर-ए-महफ़िल सुनाई आप ने ‘तालिब’ ग़ज़ल
दिल के क़िस्से को बयाँ भी मुँह ज़बानी कर दिया
मुरलीधर शर्मा ‘तालिब’, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), कोलकाता पुलिस

कुछ शब्दों के अर्थ : बयानी – बातों से जादू करने वाला। मआनी – अर्थ, मतलब। सादा – सादा पानी। अरग़वानी – लाल रंग की शराब। रिन्दों – शराबी, आवारा। ज़ाफ़रानी – केसरिया। सर-ए-महफ़िल – महफ़िल के सामने।

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