गजल संग्रह : हासिल-ए-सहरा नवर्दी
मुन्सिफ़ से क्या आस लगाया करता है
अब जो करता है सरमाया करता है
चेहरों के अंदर पोशीदा चेहरे हैं
देखो आईना दिखलाया करता है
कैसे-कैसे पेड़ झुलसते जाते हैं
बूढ़ा बरगद अब भी साया करता है
चुपके से आ जाती है तन्हाई बस
मेरे घर पर अब कौन आया करता है
ग़ज़लें कहना कब आसाँ है ऐ ‘तालिब’
आते-आते ये फ़न आया करता है
– मुरलीधर शर्मा ‘तालिब’, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), कोलकाता पुलिस
कुछ शब्दों के अर्थ : सरमाया – धन। फ़न – कला।
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