व्यंग्य कविता
अंगूठा लगायेंगे
घूंघट काढ़ी ग्रामप्रधान महिला से
एक दिन हमने पूछा
आप गांव का विकास कैसे कर पायेंगी
हमें यकीन है आप घूंघट में ही रह जायेंगी।
वह हंसकर बोलीं-
थोड़ा सा मुंह खोलीं
हमारा तो नाम चलेगा
काम तो हमारे वो करेंगे
वे ही विकास का रास्ता दिखायेंगे
हम तो केवल अंगूठा लगायेंगे।
–डा.एस.आनंद
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